RADIANCE MATHEMATICS COACHING CENTRE (Sohani Patti Buxar)
1. Tracing changes
through a thousand years (हज़ार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की
पड़ताल)
प्रश्न-
अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) CH-1
1. अतीत में ‘विदेशी' किसे माना
जाता था? [V.V. Imp.] उत्तर- मध्यकाल में गाँव में आने वाला कोई भी
अनजान व्यक्ति जो समाज और संस्कृति का अंग न हो, 'विदेशी' कहलाता था।
ऐसे व्यक्ति को हिंदी में परदेसी और फारसी में अजनबी कहा जा सकता है।
2. नीचे उल्लिखित बातें सही
है या गलत :(क) सन् 700 के बाद के काल के संबंध में अभिलेख नहीं मिलते हैं। (ख) इस काल के दौरान मराठों ने अपने राजनीतिक
महत्त्व की स्थापना की। (ग) कृषि-केंद्रित बस्तियों के विस्तार के साथ
कभी-कभी वनवासी अपनी जमीन से उखाड़ बाहर कर दिए जाते थे। (घ) सुलतान गयासुद्दीन बलबन असम, मणिपुर तथा
कश्मीर का शासक था। उत्तर- (क) सही, (ख) सही, (ग) सही, (घ) गलत।
3. रिक्त स्थानों को भरें: (क) अभिलेखागारों में……………………………………….रखे जाते हैं। (ख) …………………………………………………………………….चौदहवीं
सदी का एक इतिहासकार था। (ग)………………, …………………, …………………, ……………… और……………… इस उपमहाद्वीप में इस काल के दौरान लाई
गई कुछ नई फसलें हैं। उत्तर- (क) दस्तावेज (ख) जियाउद्दीन बरनी (ग)
आलू, मक्का, मिर्च, चाय-कॉफी।
4. इस काल में हुए कुछ
प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों की तालिका दें। उत्तर- 700 से 1750 के बीच के
हजार वर्षों में अलग-अलग समय पर नई प्रौद्योगिकी का विकास हुआ। जैसे सिंचाई में
रहट, कताई में
चरखे और युद्ध में आग्नेयास्त्रों (बारूद वाले हथियारों) का प्रयोग शुरू हो गया
था।
5. इस काल के दौरान हुए कुछ
मुख्य धार्मिक परिवर्तनों की जानकारी दें। उत्तर- हजार वर्षों के दौरान धार्मिक परंपराओं
में कई बड़े परिवर्तन आए। लोगों में दैविक आस्था वैयक्तिक स्तर पर और सामूहिक
स्तर पर था। हिंदू धर्म में नए देवी-देवताओं की पूजा, राजाओं
द्वारा मंदिरों का निर्माण और पुरोहितों का महत्त्व बढ़ा जो कि ब्राह्मण हुआ
करते थे। इस काल में भक्ति आंदोलन का प्रारम्भ हुआ जो कि कर्मकांडों के आलोचक
थे। इस काल में सातवीं सदी में इस्लाम और 16वीं सदी में ईसाई धर्म
का भारत में प्रादुर्भाव हुआ। 6. पिछली कई शताब्दियों में
हिंदुस्तान' शब्द का अर्थ कैसे बदला है? [V.V. Imp.] उत्तर- पिछली कई शताब्दियों में हिंदुस्तान
शब्द के अर्थ में अनेक परिवर्तन हुए। तेरहवीं सदी में जब फारसी के इतिहासकार
मिन्हाज-ए-सिराज ने हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग किया था तो उसका अर्थ गंगा-यमुना
के बीच में स्थित क्षेत्र और पंजाब, हरियाणा से था। उसने इस
शब्द का राजनीतिक अर्थ में उन इलाकों के लिए इस्तेमाल किया जो दिल्ली के सुल्तान
के अधिकार क्षेत्र में आते थे। इसके विपरीत सोलहवीं सदी के आरंभ में बाबर ने
हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग इस उप-महाद्वीप के भूगोल, पशु-पक्षियों
और यहाँ के निवासियों की संस्कृति का वर्णन करने के लिए किया। यह प्रयोग चौदहवीं
सदी के कवि अमीर खुसरो द्वारा प्रयोग किया। गया शब्द हिंद के ही कुछ-कुछ समान
था। मगर जहाँ भारत को एक भौगोलिक और सांस्कृतिक तत्व के रूप में पहचाना जा रहा
था।
7. जातियों के मामले कैसे
नियंत्रित किए जाते थे? उत्तर- जातियाँ स्वयं अपने-अपने नियम बनाती थी, जिससे कि वे
अपनी जाति के सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित कर सके। इन नियमों का पालन जाति
के बड़े बुजुर्गों की एक सभा करवाती थी, जिसे कुछ इलाकों में
जाति। पंचायत कहा जाता था, लेकिन जातियों को अपने निवास के गाँवों के रिवाजों का पालन भी करना पड़ता
था।
8. सर्वक्षेत्रीय साम्राज्य
से आप क्या समझते हैं? उत्तर- सर्वक्षेत्रीय साम्राज्य से तात्पर्य
उस साम्राज्य से है जो अनेक क्षेत्रीय राज्यों को मिलाकर बना हो, जैसे-सल्तनत
साम्राज्य, मुगल साम्राज्य आदि।
9. पांडुलिपियों के उपयोग
में इतिहासकारों के सामने कौन-कौन सी समस्याएँ आती हैं? [VV. Imp.] उत्तर- पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों
के सामने निम्न समस्याएँ आती हैं (i) कई बार पांडुलिपियों की लिखावट को समझने में
दिक्कत आती है। (ii) आज हमें लेखक की मूल पांडुलिपि शायद ही कहीं
मिलती है। (iii) मूल पांडुलिपि की नई प्रतिलिपि बनाते समय
लिपिक छोटे-मोटे फेर-बदल करते चलते थे, कहीं कोई शब्द, कहीं कोई
वाक्य। सदी-दर-सदी प्रतिलिपियों की भी प्रतिलिपियाँ बनती रहीं और अंततः एक ही मूल
ग्रंथ की भिन्न-भिन्न प्रतिलिपियाँ एक-दूसरे से बहुत अलग हो गई। (iv) इतिहासकारों को बाद के लिपिकों द्वारा बनाई गई
प्रतिलिपियों पर ही पूरी तरह निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए इस बात का अंदाज लगाने
के लिए कि मूलतः लेखक ने क्या लिखा था इतिहासकारों को एक ही ग्रंथ की विभिन्न
प्रतिलिपियों का अध्ययन करना पड़ता है। 10. इतिहासकार अतीत को कालों
या युगों में कैसे विभाजित करते हैं? क्या इस कार्य में उनके
सामने कोई कठिनाई आती है? उत्तर- अधिकतर इतिहासकार आर्थिक तथा सामाजिक
कारकों के आधार पर ही अतीत के कालखंडों की विशेषताएँ तय करते हैं। इन आधारों पर
इतिहास को प्राचीन, मध्य और आधुनिक कालों में बाँटा गया है। काल-क्रम को विभाजित करते समय
इतिहासकारों के सामने यह समस्या उत्पन्न होती है कि वे किस महत्त्वपूर्ण घटना के
बाद कालक्रम का विभाजन करें।
11. अध्याय में दिए गए
मानचित्र 1 अथवा मानचित्र 2 की तुलना उपमहाद्वीप के
आज के मानचित्र से करें। तुलना करते हुए दोनों के बीच
जितनी भी समानताएँ और असमानताएँ मिलती हैं, उनकी सूची बनाइए। उत्तर- मानचित्र 1 अरब भूगोलवेत्ता अल इद्रीसी
ने 1154 में बनाया था। मानचित्र 2 एक फ्रांसीसी मानचित्रकार ने 1720 में बनाया था। दोनों
मानचित्र में कुछ समानता और असमानता थीं। दोनों मानचित्र में समानता (i) इस मानचित्र में वर्तमान मानचित्र की भाँति
भारतीय उपमहाद्वीप को दर्शाया गया है। इस मानचित्र में कुछ जाने-पहचाने नाम भी
हैं. जैसे-कन्नौज, सूरत आदि। असमानता (ii) अल इद्रीसी के नक्शे में दक्षिण भारत उस जगह
है. जहाँ हम आज उत्तर भारत हुँखेंगे और श्रीलंका का द्वीप ऊपर की तरफ है। जगहों
के नाम अरबी में दिए गए हैं। यह मानचित्र आज के मानचित्र से काफी भिन्न हैं, लेकिन
फ्रांसीसी मानचित्रकार के मानचित्र में आज के मानचित्र से थोड़ी-सी भिन्नता है, जैसे बम्बई
क्षेत्र और गुजरात क्षेत्र का मानचित्र आज से भिन्न है।
12. पता लगाइए कि आपके गाँव
या शहर में अभिलेख (रिकॉर्ड) कहाँ रखे जाते हैं। इन अभिलेखों को कौन तैयार करता
है? क्या आपके यहाँ कोई अभिलेखागार है? उसकी देखभाल
कौन करता है? वहाँ किस तरह के दस्तावेज़ संगृहीत हैं? उनका उपयोग
कौन लोग करते हैं? उत्तर- ग्रामीण क्षेत्रों के अभिलेख (रिकॉर्ड)
जिला मुख्यालय में रखे जाते हैं, इन अभिलेखों को विभिन्न विभाग के कर्मचारी
तैयार करते हैं तथा शहरों के अभिलेख नगर निगम कार्यालयों में रखे जाते हैं और
ऐतिहासिक अभिलेख को अभिलेखागारों में रखा जाता है। अभिलेखागार की देखभाल उसके
अंदर नियुक्त कर्मचारियों द्वारा की जाती है। इनका उपयोग शोधार्थियों द्वारा
अथवा विभिन्न विभागों द्वारा समय-समय पर किया जाता है।
2.
Kings and Kingdoms (राजा और उनके राज्य)
पाठगत प्रश्न CH-2
1. क्या आपके विचार से उस
दौर में एक शासक बनने के लिए क्षत्रिय के रूप में पैदा होना महत्त्वपूर्ण था? उत्तर- हमारे विचार से उस दौर में एक
शासक बनने के लिए क्षत्रिय के रूप में पैदा होना महत्त्वपूर्ण नहीं था। भारत के
कई गैर क्षत्रिय शासक हुए जिनमें कदंब मयूरशर्मण और गुर्जर, प्रतिहार
हरिचंद्र ब्राह्मण थे, जिन्होंने अपने परंपरागत पेशे को छोड़कर शस्त्र को अपना लिया। इसके अतिरिक्त
कई और भी शासक हुए जो क्षत्रिय नहीं थे, लेकिन उस दौर में भारत
के अधिकांश शासक क्षत्रिय थे।
2. प्रशासन का यह रूप आज की
व्यवस्था से किन मायनों में भिन्न था? उत्तर- मध्यकाल में भारत में
राजतंत्र कायम था। राजतंत्र में शासक वंशानुगत हुआ करते थे, अर्थात् राजा
का पुत्र ही राजा होता था, लेकिन आज की प्रशासनिक व्यवस्था लोकतांत्रिक है, जिसमें जनता
द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही शासन करते हैं। जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ही
सरकार का गठन करते हैं। मध्यकाल में जनता किसी भी राजा का ना तो चुनाव कर सकती
थी और न ही उसे हटा सकती थी।
3. मानचित्र 1 को देखें और
वे कारण बताइए, जिनके चलते ये शासक कन्नौज और गंगा घाटी के ऊपर नियंत्रण
चाहते थे। उत्तर- आठवीं सदी से लेकर बारहवीं
सदी के पूर्वार्द्ध तक कन्नौज भारत का राजनीतिक शक्ति का केन्द्र था। कन्नौज
उत्तर भारत के मध्य में स्थित था। इसलिए गुर्जर प्रतिहार, पाल वंश और
राष्ट्रकूट वंश के राजाओं ने लंबे समय तक कन्नौज के लिए संघर्ष किया, जिससे इन
शासकों का कन्नौज पर नियंत्रण कायम हो सके। चूंकि इस लंबी चली लड़ाई में तीन
पक्ष थे, इसलिए इतिहासकारों ने प्रायः इसकी चर्चा त्रिपक्षीय संघर्ष के रूप में की
है।
4. प्राचीन व मध्यकाल के
राजाओं द्वारा कई तरह के दावे किए जाते थे, आपके विचार से ऐसे दावे
उन्होंने क्यों किए होंगे? उत्तर- कई प्रशस्तियों में शासक कई
तरह के दावे करते थे, मिसाल के लिए शूरवीर, विजयी योद्धा
के रूप में। समुद्रगुप्त ने अपने प्रशस्ति में वर्णन किया कि आंध्र, सैंधव, विदर्भ और
कलिंग के राजा उनके आगे तभी धराशायी हो गए जब वे राजकुमार थे। इस तरह के दावे
शासक अपने आपको सम्मानित और गौरवान्वित करने के लिए करते थे। 5. मानचित्र 1 को दोबारा
देखिए और विचार-विमर्श कीजिए कि चाहमानों ने अपने इलाके का विस्तार क्यों करना
चाहा होगा? उत्तर- चाहमान दिल्ली और अजमेर के
आस-पास के क्षेत्र पर शासन करते थे। उन्होंने पश्चिम और पूर्व की ओर अपने
नियंत्रण क्षेत्र का विस्तार करना चाहा, जहाँ उन्हें गुजरात के
चालुक्यों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गहड़वालों से टक्कर लेनी पड़ी। चौहानों ने
अपनी शक्ति को मजबूत करने के लिए और अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए अपने
साम्राज्य में विस्तार करना चाहा होगा।
6. क्या आपको लगता है कि
महिलाएँ इन सभाओं में हिस्सेदारी करती थीं? क्या आप समझते हैं कि
समितियों के सदस्यों के चुनाव के लिए
लॉटरी का तरीका उपयोगी होता है?। उत्तर महिलाओं का सभाओं में भाग लेने का
प्रमाण इतिहास के किसी साक्ष्य में नहीं मिला है। चोल प्रशासन के कुछ समितियों
में ही सदस्यों का चुनाव लॉटरी से किया जाता था, बाकी सदस्यों
का चुनाव प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किया जाता था। कुछ समितियों के सदस्यों के
चुनाव के लिए लॉटरी का तरीका सही है।
प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक
से) CH-2 1. जोड़ा बनाओ : गुर्जर-प्रतिहार --- पश्चिमी दक्कन राष्ट्रकूट --- बंगाल पाल --- गुजरात और राजस्थान चोल --- तमिलनाडु उत्तर- गुर्जर-प्रतिहार --- गुजरात और राजस्थान राष्ट्रकूट --- पश्चिमी दक्कन पाल --- बंगाल चोल --- तमिलनाडु 2. 'त्रिपक्षीय संघर्ष' में लगे
तीनों पक्ष कौन-कौन से थे? उत्तर- त्रिपक्षीय संघर्ष में लगे
तीनों पक्ष (i).
गुर्जर-प्रतिहार, (ii). राष्ट्रकूट, (iii). पाल
3. चोल साम्राज्य में सभा
की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्ते क्या थीं? उत्तर- चोल साम्राज्य में सभा की
किसी समिति का सदस्य बनने के लिए निम्न शर्ते आवश्यक थीं (i). सभा की सदस्यता के लिए इच्छुक लोगों को ऐसी
भूमि का स्वामी होना चाहिए, जहाँ से भू-राजस्व वसूला जाता है। (ii). उनके पास अपना घर होना चाहिए। (iii). उनकी उम्र 35 से 70 के बीच होनी
चाहिए। (iv). उन्हें वेदों का ज्ञान होना चाहिए। (v). ईमानदार होना चाहिए। (vi). उन्हें प्रशासनिक मामलों की अच्छी जानकारी
होनी चाहिए।
4. चाहमानों के नियंत्रण
में आनेवाले दो प्रमुख नगर कौन-से थे? उत्तर- चाहमानों के नियंत्रण में आने
वाले नगर (i). कन्नौज, (ii). बनारस, (iii). इन्द्रप्रस्थ, (iv) प्रयाग 5. राष्ट्रकूट कैसे
शक्तिशाली बने? उत्तर- राष्ट्रकूट शुरू में कनार्टक
के चालुक्य राजाओं के अधीन थे। आठवीं सदी के मध्य में एक राष्ट्रकूट शासक ।
दंतीदुर्ग ने चालुक्यों की अधीनता से इंकार कर दिया। बाद में चालुक्यों को उसने
हराया और अपनी सैनिक शक्ति में वृद्धि की।
6. नये राजवंशों ने
स्वीकृति हासिल करने के लिए क्या किया? उत्तर- नए राजवंशों ने स्वीकृति
हासिल करने के लिए निम्न कार्य किए (i). राजा लोग नए राजवंशों को अपने मातहत या सामंत
के रूप में मान्यता देते थे। (ii). अधिक सत्ता और संपदा हासिल करने पर सामंत अपने
आपको महासामंत, महामंडलेश्वर इत्यादि घोषित कर देते थे। (iii). कभी-कभी वे अपने स्वामी के आधिपत्य से
स्वतंत्र हो जाने का दावा भी करते थे। (iv). उद्यमी परिवारों के पुरुषों ने अपनी राजशाही
कायम करने के लिए सैन्य कौशल का इस्तेमाल किया।
7. तमिल क्षेत्र में किस
तरह की सिंचाई व्यवस्था का विकास हुआ? उत्तर- तमिल क्षेत्रों में सिंचाई
व्यवस्था का विकास निम्न प्रकार से हुआ (i). प्राकृतिक झीलों से सिंचाई की व्यवस्था की गई। (ii). अनेक नहरों को निर्मित किया गया। (iii). कई तालाबों और हौजों को निर्मित किया गया। (iv). अनेक क्षेत्रों में नए कुएँ खुदवाए गए।
8. चोल मंदिरों के साथ
कौन-कौन सी गतिविधियाँ जुड़ी हुई थीं? उत्तर- चोल मंदिरों के साथ
निम्नलिखित गतिविधियाँ जुड़ी हुई थीं (i). चोल मंदिर अकसर अपने आस-पास विकसित होने वाली
बस्तियों के केन्द्र बन गए। (ii). ये शिल्प उत्पादन के केन्द्र थे। (iii). ये मंदिर शासकों और अन्य लोगों द्वारा दी गई
भूमि से भी सम्पन्न हो गए थे। (iv). मंदिर के लिए काम करने वालों में पुरोहित, मालाकार, बावर्ची, मेहतर, संगीतकार, नर्तक
इत्यादि प्रमुख थे। (v). मंदिर सिर्फ़ पूजा-आराधना का ही केन्द्र नहीं
थे, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और
सांस्कृतिक जीवन। के केन्द्र भी थे। 9. मानचित्र 1 को दुबारा
देखें और तलाश करें कि जिस प्रांत में आप रहते हैं, उसमें कोई
पुरानी राजशाहियाँ (राजाओं के राज्य) थीं या नहीं? उत्तर- मानचित्र 1 का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि जिस राज्य में हम रहते हैं, वहाँ
इन्द्रप्रस्थ नामक राजशाही स्थापित थी, जिसे हम दिल्ली के नाम
से जानते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य राजशाही और
वर्तमान प्रांत का नाम इस प्रकार से है ·
राजशाही वर्तमान प्रांत का नाम ·
गुर्जर प्रतिहार गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश ·
पाल बंगाल, बिहार ·
उत्कल
उड़ीसा ·
पूर्वी चालुक्य आन्ध्र प्रदेश ·
राष्ट्र कूट महाराष्ट्र, उत्तरी
कर्नाटक ·
चोल तमिलनाडु ·
चेर केरल ·
पाण्डय दक्षिणी तमिलनाडु
10. जिस तरह के पंचायती
चुनाव हम आज देखते हैं, उनसे उत्तरमेरुर के
चुनाव' किस तरह से अलग थे? उत्तर- वर्तमान समय के पंचायत चुनाव
उत्तरमेरुर के चुनाव में अन्तर-
11. इस अध्याय में दिखलाए गए
मंदिरों से अपने आस-पास के किसी मौजूदा मंदिर की तुलना करें और जो समानताएँ या
अंतर आप देख पाते हैं, उन्हें बताएँ। उत्तर- असमानताएँ इस अध्याय में
दिखलाए गए मंदिर द्रविड़ शैली के स्थापत्य कला द्वारा निर्मित हैं, लेकिन
वर्तमान के अधिकांश मंदिर बेसर शैली स्थापत्य कला द्वारा निर्मित हैं। बेसर शैली
में द्रविड़ और नागर शैली का सम्मिश्रण होता है। समानताएँ - इन दोनों मंदिरों
में समानता यह है कि इन दोनों मंदिरों के गर्भ गृह में ही मूर्ति स्थित होती है।
12. आज के समय में वसूले
जाने वाले करों के बारे में और जानकारी हासिल करें। क्या ये नकद के रूप में हैं, वस्तु के रूप
में हैं या श्रम सेवाओं के रूप में? उत्तर- वर्तमान समय में प्रत्यक्ष कर
और अप्रत्यक्ष कर के रूप में कर वसूल किए जाते हैं। प्रत्यक्ष कर के रूप में आय
कर, सम्पत्ति कर, उत्तराधिकारी कर, मृत्यु कर आदि। अप्रत्यक्ष कर के रूप में उत्पादन शुल्क, बिक्री कर
आदि प्रमुख हैं। वर्तमान समय में सभी कर नकद अथवा चेक के
द्वारा जमा किए जाते हैं तथा किसी भी कर का भुगतान वस्तु के रूप में अथवा श्रम
सेवाओं के रूप में नहीं लिया जाता है 3.
Delhi Twelfth to
Fifteenth Centuries (दिल्ली: बारहवीं से पंद्रहवीं शताब्दी)
पाठगत प्रश्न CH-3
1. क्या आपको लगता है कि
न्याय-चक्र राजा और प्रजा के बीच के संबंध को समझाने के लिए उपयुक्त शब्द है? उत्तर- तेरहवीं सदी के इतिहासकार
फख-ए मुदब्बिर ने न्याय चक्र के बारे में लिखा है राजा का काम सैनिकों के बिना
नहीं चल सकता। सैनिक वेतन के बिना नहीं जी सकते। वेतन आता है किसानों से एकत्रित
किए गए राजस्व से। मगर किसान भी राजस्व तभी चुका सकेंगे, जब वे खुशहाल
और प्रसन्न हों। ऐसा तभी हो सकता है जब राजा न्याय और ईमानदार प्रशासन को बढ़ावा
दे। न्याय चक्र का उपरोक्त वर्णन राजा और प्रजा के बीच के संबंध को समझाने के
लिए आंशिक रूप से उपयुक्त शब्द है।
2. मिन्हाज के विचार अपने
शब्दों में व्यक्त कीजिए। क्या आपको लगता है कि रजिया के विचार भी यही थे? आपके अनुसार
स्त्री के लिए शासक बनना इतना कठिन क्यों था? उत्तर- मिन्हाज-ए-सिराज का मानना था
कि ईश्वर ने जो आदर्श समाज व्यवस्था बनाई है उसमें स्त्रियों को पुरुषों के अधीन
होना चाहिए। ऐसी स्थिति में रानी का शासन इस व्यवस्था के विरुद्ध था। रजिया
सुल्तान 1236 से 1240 ई. तक दिल्ली सल्तनत की शासिका थी। रजिया सुल्तान को महिला शासक होने के
कारण काफी विरोध का सामना करना पड़ा था, जबकि रजिया सुल्ताना ने
मर्दों की तरह शासन चलाया। रजिया सुल्तान के विचार मिन्हाज सिराज के विपरीत था।
पहले पितृ-प्रधान समाज के कारण पिता का पुत्र ही राजा होता था, इसलिए स्त्री
के लिए शासक बनना कठिन काम था।
3. क्या आपको गुलाम को बेटे
से बढ़कर मानने का कोई कारण समझ में आता है? उत्तर- सल्तनत काल के प्रारम्भिक
शासक गुलाम वंश के थे। मुहम्मद गोरी का गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का शासक
बना था और कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम इल्तुतमिश दिल्ली का शासक बना था। ये दोनों
शासक काफी योग्य और बुद्धिमान थे। इसलिए बुद्धिमानों का कहना है कि योग्य और अनुभवी
गुलाम बेटे से भी बढ़कर होता है. यह कथन बिल्कुल सही है, क्योंकि ये
गुलाम अपनी योग्यता और बुद्धि से ही राजा या सुल्तान के दिल जीत पाते थे, इसलिए
सुल्तान उन्हें बेटे से बढ़कर मानते थे।
4. आपके ख्याल से बरनी ने
सुल्तान की आलोचना क्यों की थी? उत्तर- सुल्तान मुहम्मद तुगलक ने
अजीज खुम्मार नामक कलाल (शराब बनाने और बेचने वाला), फिरुज हज्जाम
नामक नाई, मनका तब्बाख नामक बावर्जी और लड्डा तथा पीरा नामक मालियों को ऊँचे प्रशासनिक
पदों पर बैठाया था। ये लोग सुल्तान को चापलूसी करके बड़े पद पाए थे इनके अंदर
बड़े पद पाने की योग्यता। नहीं थी, इसलिए इतिहासकार जियाउद्दीन
बरनी ने इन नियुक्तियों का उल्लेख सुल्तान के राजनीतिक विवेक के नाश और शासन
करने की अक्षमता के उदाहरणों के रूप में किया है।
5. सरदारों की
रक्षा-व्यवस्था का वर्णन कीजिए। उत्तर- मोरक्को से चौदहवीं सदी में
भारत आए यात्री इब्नबतूता ने भारत के सरदारों की रक्षा व्यवस्था का वर्णन किया
था, उसके अनुसार सरदार चट्टानी, उबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाकों में किले बनाकर रहते
थे और कभी-कभी बाँस के झुरमुटों में। ये दोनों स्थान काफी दुर्गम होते थे। सरदार
इन जंगलों में रहते थे जो इनके लिए किले की प्राचीर का काम देते थे। इस दीवार के
घेरे में ही उनके मवेशी और फसल रहते थे। अंदर ही पानी भी उपलब्ध रहता था अर्थात्
वहाँ एकत्रित हुआ वर्षों का जल, इसलिए उन्हें प्रबल बलशाली सेनाओं के बिना
हराया नहीं जा सकता था। प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) CH-3
1. दिल्ली में पहले-पहल
किसने राजधानी स्थापित की? उत्तर- तोमर राजपूत चौहान राजाओं ने
पहले-पहल दिल्ली में राजधानी स्थापित की थी।
2. दिल्ली के सुलतानों के
शासनकालों में प्रशासन की भाषा क्या थी? उत्तर- फारसी भाषा।।
3. किसके शासन के दौरान
सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार हुआ? उत्तर- मुहम्मद तुगलक।
4. इब्नबतूता किस देश से
भारत में आया था? उत्तर- मोरक्को (अफ्रीका)।
5. 'न्याय चक्र' के अनुसार
सेनापतियों के लिए किसानों के हितों का ध्यान रखना क्यों ज़रूरी था? उत्तर- 'न्याय चक्र' के अनुसार
सेनापतियों के लिए किसानों के हितों का ध्यान रखना इसलिए जरूरी था, क्योंकि
किसानों से एकत्रित किए गए राजस्व से ही सैनिकों को वेतन मिलता था। मगर किसान भी
राजस्व तभी चुका सकते थे, जब वे खुशहाल और प्रसन्न हों। ऐसा तभी हो सकता है जब राजा न्याय और ईमानदार
प्रशासन को बढ़ावा दें।
6. सल्तनत की 'भीतरी' और 'बाहरी' सीमा से आप
क्या समझते हैं? उत्तर- भीतरी सीमा-भीतरी सीमा से
अभिप्राय गैरिसन शहरों की पृष्ठभूमि में स्थित क्षेत्रों से गैरिसन शहरों की
आवश्यकताओं की पूर्ति होती थी। बाहरी सीमा-गैरिसन शहरों की पृष्ठभूमि से
सुदूरवर्ती क्षेत्रों को बाहरी सीमा कहा जाता था।
7. मुक्ती अपने-अपने
कर्तव्यों का पालन करें, यह सुनिश्चित करने के
लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए थे? आपके विचार में सुलतान
के आदेशों का उल्लंघन करना चाहने के पीछे उनके क्या कारण हो सकते थे ? उत्तर- मुफ्ती अपने कर्तव्यों का
पालन करें, यह सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए थे (i). उनकी नियुक्ति वंश परंपरा के आधार पर नहीं की
जाती थी। (ii). उन्हें कोई भी इक्ता (क्षेत्र) थोड़े समय के
लिए दिया जाता था। (iii). मुक्ती लोगों का समय-समय पर स्थानांतरण किया
जाता था। (iv). मुक्ती लोगों द्वारा एकत्रित किए गए राजस्व की
रकम का हिसाब लेने के लिए राज्य द्वारा लेखा अधिकारी नियुक्त किए जाते थे। (v). इस बात का ध्यान रखा जाता था कि मुक़्ती राज्य
द्वारा निर्धारित कर ही वसूलें और तय संख्या के अनुसार सैनिक रखें।
8. दिल्ली सल्तनत पर मंगोल
आक्रमणों का क्या प्रभाव पड़ा? उत्तर- दिल्ली सल्तनत पर मंगोल
आक्रमणों का निम्न प्रभाव पड़ा (i). मंगोल आक्रमणों से मजबूर होकर अलाउद्दीन खिलजी
और मुहम्मद तुगलक को एक विशाल सेना खड़ी करनी पड़ी। (ii). अलाउद्दीन खिलजी ने सैनिकों को इक्ता के स्थान
पर नकद वेतन देना तय किया। (iii). मुहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली के पुराने शहर के
निवासियों को नयी राजधानी दौलताबाद भेज दिया और उस इलाके में बड़ी सैनिक छावनी
बना दी गई। (iv). अलाउद्दीन खिलजी ने जनता पर और अधिक कर लगाए
ती मुहम्मद तुगलक ने ताँबे के नए सिक्के चलवाए।
9. क्या आपकी समझ में
तवारीख के लेखक, आम जनता के जीवन के बारे में कोई जानकारी देते हैं? उत्तर- हमारी समझ में तवारीख के लेखक
आम जनता के जीवन के बारे में जानकारी नहीं देते थे, क्योंकि
1. तवारीख के लेखक सचिव, प्रशासक, कवि और
दरबारियों जैसे सुशिक्षित व्यक्ति होते थे जो घटनाओं का वर्णन । भी करते थे और शासकों को प्रशासन संबंधी सलाह देते थे। वे
न्याय-संगत शासन के महत्व पर बल देते थे। 2 तवारीख के लेखक नगरों में रहते थे, गाँव में
शायद ही कभी रहते हों। 3. वे अकसर अपने इतिहास सुलतानों के लिए, उनसे ढेर
सारे इनाम इकराम पाने की आशा में लिखा करते थे। 10. दिल्ली सल्तनत के इतिहास
में रजिया सुलतान अपने ढंग की एक ही थीं। क्या आपको लगता है कि आज महिला नेताओं
को ज्यादा आसानी से स्वीकार किया जाता है? उत्तर- आज भी महिला नेताओं को ज्यादा
आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता। आज भी भारत में लोकसभा और विधानसभा में
महिलाओं की संख्या 5 प्रतिशत से भी कम है। ये अलग बात है कि
सल्तनत काल की अपेक्षा वर्तमान में महिला नेताओं को ज्यादा आसानी से स्वीकार
किया जाता है।
11. दिल्ली के सुलतान जंगलों
को क्यों कटवा देना चाहते थे? क्या आज भी जंगल उन्हीं
कारणों से काटे जा रहे हैं?
उत्तर- गैरिसन शहरों की पृष्ठभूमि
में स्थित भीतरी क्षेत्रों की स्थिति को मजबूत करने के लिए गंगा-यमुना के दोआब
से जंगलों को साफ़ कर दिया गया और शिकारी संग्राहकों तथा चरवाहों को उनके
पर्यावास से खदेड़ दिया गया। वह जमीन किसानों को दे दी गई और कृषि कार्य को
प्रोत्साहन दिया गया। आज जंगल कई कारणों से काटा जा
रहा है। (ii). कृषि भूमि को प्राप्त करना व आवासों का
निर्माण। (ii). परिवहन मार्गों का निर्माण एवं खनन कार्य के
लिए। (iii). बड़े बाँधों के निर्माण में वनों की कटाई।
आइए करके देखें
12. पता लगाइए कि क्या आपके
इलाके में दिल्ली के सुलतानों द्वारा बनवाई गई कोई इमारत है? क्या आपके
इलाके में और भी कोई ऐसी इमारत है, जो बारहवीं से पंद्रहवीं
सदी के बीच बनाई गई हो? इनमें से कुछ इमारतों का
वर्णन कीजिए और उनके रेखाचित्र बनाइए। उत्तर- दिल्ली के सुल्तानों द्वारा
बनाई गई इमारतें
4. The Mughals:
Sixteenth to Seventeenth Centuries (मुग़ल: सोलहवीं
से सत्रहवीं शताब्दी)
पाठगत प्रश्न CH-4
1. राजपूतों के साथ मुगलों
के शादियों के कुछ उदाहरण दें। उत्तर- जहाँगीर की माँ और अकबर की
पत्नी कच्छवा की राजकुमारी थी। वह अंबर (वर्तमान में जयपुर) के राजपूत शासक की
पुत्री थी। शाहजहाँ की माँ और जहाँगीर की पत्नी एक राठौड़ राजकुमारी थी। वह
मारवाड़ (जोधपुर) के राजपूत शासक की पुत्री थी।
2. अकबर और औरंगजेब के
शासनकाल के मनसबदारों की संख्या की तुलना करें। उत्तर- 5000 जात वाले
अभिजातों का दर्जा 1000 जात वाले अभिजातों से ऊँचा था। अकबर के शासनकाल में 29 ऐसे मनसबदार
थे, जो 5000 जाते की
पदवी के थे। औरंगजेब के शासनकाल तक ऐसे मनसबदारों की संख्या 79 हो गई।
3. अकबरनामा और आइने अकबरी
के बारे में व्याख्या करें। उत्तर- अकबर ने अपने करीबी मित्र और
दरबारी अबुल फजल को आदेश दिया कि वह उसके शासनकाल का इतिहास लिखें। अबुल फजल ने
यह इतिहास तीन जिल्दों में लिखा और इसको शीर्षक है 'अकबरनामा'। पहली जिल्द
में अकबर के पूर्वजों का बयान है और दूसरी अकबर के शासनकाल की घटनाओं का विवरण
देती है। तीसरी जिल्द आइने अकबरी है। इसमें अकबर के प्रशासन, घराने, सेना, राजस्व और
साम्राज्य के भूगोल का ब्यौरा मिलता है। इसमें समकालीन भारत के लोगों की
परंपराओं और संस्कृतियों का भी विस्तृत वर्णन है। आइने अकबरी का सबसे रोचक आयाम
है, विविध प्रकार
की चीजों फसलों, पैदावार, कीमतों, मजदूरी और राजस्व का सांख्यिकीय विवरण। प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) CH-4
1. सही जोड़े बनाएँ:
2. रिक्त स्थानों को भरें: (क) ……………………. अकबर के सौतेले भाई, मिर्जा हाकिम
के राज्य की राजधानी थी। (ख) दक्कन की पाँचों सल्तनत बरार, खानदेश, अहमदनगर, ……………………. और …………………………… थीं। (ग) यदि जात एक मनसबदार के पद और वेतन को
द्योतक था, तो सवार ……………………… उसके ……………………. को दिखाता
था। (घ) अकबर के दोस्त और सलाहकार, अबुल फजल ने
उसकी ……………………… के विचार को गढ़ने में मदद की जिसके द्वारा वह विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों
और जातियों से बने समाज पर राज्य कर सका।
उत्तर- (क) काबुल (ख) बीजापुर
और गोलकुंडा (ग) सैन्य उत्तरदायित्व (घ) सुलह-ए-कुल।
3. मुगल राज्य के अधीन आने
वाले केंद्रीय प्रांत कौन-से थे? उत्तर- मुगल साम्राज्य के अधीन आने
वाले केन्द्रीय प्रांत- (i) दिल्ली (ii) आगरा
4. मनसबदार और जागीर में
क्या संबंध था? उत्तर- मनसबदार अपना वेतन राजस्व
एकत्रित करने वाली भूमि के रूप में पाते थे, जिन्हें
जागीर कहते थे और जो तकरीबन 'इक्ताओं के समान थी, परंतु
मनसबदार, मुक्तियों से भिन्न अपने जागीरों पर नहीं रहते थे और न ही उन पर प्रशासन
करते थे। उनके पास अपनी जागीरों से केवल राजस्व एकत्रित करने का अधिकार था। यह
राजस्व उनके नौकर उनके लिए एकत्रित करते थे, जबकि वे स्वयं देश के
किसी अन्य भाग में सेवारत रहते थे।
5. मुगल प्रशासन में
जमींदार की क्या भूमिका थी? उत्तर- मुगलों की आमदनी का प्रमुख
साधन किसानों की उपज से मिलने वाला राजस्व था। अधिकतर स्थानों पर। किसान ग्रामीण
कुलीनों यानी जमींदारों को अपना राजस्व देते थे। एकत्रित किए गए राजस्व को
जमींदार सरकारी खजाने में जमा कराते थे। 6. शासन-प्रशासन संबंधी
अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होने वाली चर्चाएँ कितनी
महत्त्वपूर्ण थीं? उत्तर- अकबर के विचारों के निर्माण
में धार्मिक विद्वानों से होने वाली चचर्चाएँ निम्न प्रकार महत्त्वपूर्ण थीं
(i). धार्मिक चर्चाओं और परिचर्चाओं से अकबर को
ज्ञात हुआ कि धार्मिक कट्टरता प्रजा के विभाजन और असामंजस्य के लिए उत्तरदायी
होती है। (ii). ये अनुभव अकबर को सुलह-ए-कुल या सर्वत्र
शांति के विचार की ओर ले गया। (iii). इन चर्चाओं ने उसे प्रशासन की एक स्पष्ट सोच
प्रदान की, जिसमें केवल सच्चाई, न्याय और शांति पर बल था।
7. मुगलों ने खुद को मंगोल
की अपेक्षा तैमूर के वंशज होने पर क्यों बल दिया? उत्तर- मुगल दो महान शासक वंशों के
वंशज थे। माता की और से मंगोल शासक चंगेज खान के वंशज थे। पिता की ओर से वे ईरान, इराक एवं
वर्तमान तुर्की के शासक तैमूर के वंशज थे, परंतु मुगल अपने को
मंगोल या मुगल कहलवाना पसंद नहीं करते थे। ऐसा इसलिए था, क्योंकि
चंगेज खान से जुड़ी स्मृतियाँ सैकड़ों व्यक्तियों के नरसंहार से संबंधित थी।
दूसरी तरफ मुगल, तैमूर के वंशज होने पर गर्व का अनुभव करते थे, क्योंकि उनके इस महान
पूर्वज ने 1398 में दिल्ली पर कब्जा कर लिया था।
8. भू-राजस्व से प्राप्त
होने वाली आय, मुगल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए कहाँ तक जरूरी थी? उत्तर- भू-राजस्व से प्राप्त होने
वाली आय मुगल साम्राज्य के लिए निम्न कारणों से जरूरी था
(i). मू-राजस्व राज्य की आय का प्रमुख स्रोत था। (ii). समस्त प्रशासनिक कार्य इस आय द्वारा पूरे किए
जाते थे। (iii). राजदरबार के
कर्मचारियों, प्रशासनिक कर्मचारियों के वेतन तथा अन्य खर्चे की पूर्ति राजस्व पर ही
निर्भर था।
9. मुगलों के लिए केवल
तूरानी या ईरानी ही नहीं, बल्कि विभिन्न पृष्ठभूमि
के मनसबदारों की नियुक्ति क्यों महत्त्वपूर्ण थी? उत्तर- मुगलों के साम्राज्य में जैसे
जैसे विभिन्न क्षेत्र सम्मिलित होते गए, वैसे-वैसे मुगलों ने
तरह-तरह के सामाजिक समूहों के सदस्यों को प्रशासन
में नियुक्त करना प्रारंभ किया। प्रारंभ में ज्यादातर सरदार तुर्की (तूरानी) थे, लेकिन अब इस
छोटे समूह के साथ-साथ उन्होंने शासक वर्ग में ईरानियों, भारतीय
मुसलमानों, अफगानों, राजपूतों, मराठों और अन्य समूहों को सम्मिलित किया। इससे मुगलों को भारत में अपने शासन
का विस्तार करने में एवं उसे स्थायित्व प्रदान करने में सहायता मिली। 10. मुगल साम्राज्य के समाज
की ही तरह वर्तमान भारत, आज भी अनेक सामाजिक और
सांस्कृतिक इकाइयों से बना हुआ है? क्या यह राष्ट्रीय
एकीकरण के लिए एक चुनौती है? उत्तर- मुगल साम्राज्य के समाज में
कई धर्म और जाति के लोग रहते थे, यही स्थिति वर्तमान भारत
में भी बनी हुई है। फिर भी भारत में विविधता में एकता कायम है। भारत में विविध
प्रकार की संस्कृतियाँ जैसे संगीत, नृत्य, भाषा, पर्व-त्योहार, साहित्य, खान-पान, रहन-सहन, पहनावा आदि
में कई तरह की विविधता देखने को मिलती है। उसी तरह भारतीय समाज में अनेकों धर्म
(हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी आदि) अनेक जाति, (ब्राह्मण, क्षत्रिय, बनिया आदि) के लोग रहते हैं। इससे भारत की सामाजिक और राष्ट्रीय एकता में
किसी तरह की चुनौती नहीं है।
11. मुगल साम्राज्य की
अर्थव्यवस्था के लिए कृषक अनिवार्य थे। क्या आप सोचते हैं कि वे आज भी इतने ही
महत्त्वपूर्ण हैं? क्या आज भारत में अमीर और गरीब के बीच आय का फासला मुगलों
के काल की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ गया है? उत्तर- मुगल साम्राज्य की
अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित थी। वर्तमान अर्थव्यवस्था भी कृषि पर आधारित है, लेकिन
राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान धीरे-धीरे घटता जा रहा है और दूसरे क्षेत्र
जैसे उद्योग, संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, यातायात, व्यापार, पर्यटक एवं अन्य सेवा क्षेत्र का योगदान बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में अमीर
और गरीब के बीच का अंतर मुगल साम्राज्य की तुलना में अधिक बढ़ा है। मुगलकाल में 5.6% व्यक्ति कुल
संसाधनों के मात्र 61.5% का उपभोग करते थे, जबकि आज लगभग 5% व्यक्ति देश
के लगभग 90% संसाधनों का उपभोग करते हैं।
12. मुगल साम्राज्य का
उपमहाद्वीप के विभिन्न क्षेत्रों पर अनेक तरह से प्रभाव पड़ा। पता लगाइए कि जिन
नगर, गाँव, अथवा क्षेत्र में आप
रहते हैं, उस पर इसका कोई प्रभाव पड़ा था? उत्तर- छात्र
स्वयं करें। बक्सर और मुग़ल साम्राज्य का संबंध: (i). मुग़ल प्रशासनिक
नियंत्रण:
(ii). बक्सर की भौगोलिक
स्थिति और सामरिक महत्व:
(iii). बक्सर और 18वीं सदी का संघर्ष:
(iv). सांस्कृतिक प्रभाव:
5.
Tribes, nomads and settled communities (जनजातियाँ,
खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय) पाठगत प्रश्न CH-5
1. उपमहाद्वीप का एक भौतिक
मानचित्र लेकर वे इलाके बताइए जहाँ जनजातीय लोग रहते रहे होंगे। उत्तर- उपमहाद्वीप में जनजातियों के
निवास स्थान –
2. पता करें कि आजकल गाँव
से शहरों तक अनाज ले जाने का काम कैसे होता है? बंजारों के
तौर-तरीकों से यह किन मायनों में भिन्न या समान हैं? उत्तर- आजकल गाँव से शहरों तक अनाज
ले जाने का काम बैलगाड़ी, घोड़ागाडी, भैंसागाडी, ट्रैक्टर, खच्चर आदि से
किया जाता है, जबकि बंजारे अपना सामान बैलों पर लादकर ले जाते थे, अर्थात् पहले
की तुलना में आज गाँव से शहरों तक अनाज ले जाने में काफी सुविधा हो गई है।
3. चर्चा करें कि मुगल लोग
गोंड प्रदेश पर क्यों कब्जा करना चाहते थे? उत्तर- गोंडों का राज्य गढ़ कटंगा था
जो कि एक समृद्ध राज्य था। इस राज्य ने हाथियों को पकड़ने और दूसरे राज्यों में
उनका निर्यात करने के व्यापार में खासा धन कमाया। मुगल गोंड राज्य की समृद्धि को
देखकर उस पर कब्जा जमाना चाहते थे। जब मुगलों ने गोंडों को हराया तो उन्होंने
लूट में बेशकीमती सिक्के और हाथी प्राप्त किए। मुगलों ने राज्य का एक भाग अपने
कब्जे में ले लिया और शेष बीर नारायण के चाचा चंदरशाह को दे दिया।
4. आपके विचार में मुगलों
ने अहोम प्रदेश को जीतने का प्रयास क्यों किया? उत्तर- अहोमों ने सोलहवीं सदी के
दौरान चुटियों और कोच-हाजो के राज्यों को अपने राज्य में मिला लिया। उन्होंने कई
अन्य जनजातियों को भी अपने अधीन कर लिया। अहोमों ने एक बड़ा राज्य बनाया और इसके
लिए 1530 के दशक में ही इतने वर्षों पहले आग्नेय अस्त्रों का इस्तेमाल किया। 1660 तक आते-आते
वे उच्च स्तरीय बारूद और तोपों का निर्माण करने में सक्षम हो गए थे। अहोम अपनी शक्ति और साम्राज्य का विस्तार
काफी तेजी से कर रहे थे, इसलिए मुगलों ने अहोम प्रदेश को जीतने का प्रयास किया। प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) CH-5
1. निम्नलिखित में मेल
बैठाएँ:
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति
करें: (क) वर्गों के भीतर पैदा होती नयी जातियाँ …………………….
कहलाती थीं। (ख) …………………….. अहोम लोगों के
द्वारा लिखी गई ऐतिहासिक कृतियाँ थीं। (ग) ……………………… ने इस बात का उल्लेख
किया है कि गढ़ कटंगा में 70,000 गाँव थे। (घ) बड़े और ताकतवर होने पर जनजातीय राज्यों ने
………………… और …………………….. को भूमि-अनुदान दिए।
उत्तर- (क) श्रेणियाँ (ख) बुरंजी (ग) अकबरनामा (घ) मंदिर
बनवाए, ब्राह्मणों।
3. सही या गलत बताइए: (क) जनजातीय समाजों के पास समृद्धवाचक परंपराएँ
थीं। (ख) उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में कोई
जनजातीय समुदाये नहीं था। (ग) गोंड राज्यों में अनेक नगरों को मिलाकर
चौरासी बनता था। (घ) भील, उपमहाद्वीप के
उत्तर-पूर्वी भाग में रहते थे।
उत्तर- (क) सही (ख) गलत (ग) गलत (घ) गलत।।
4. खानाबदोश पशुचारकों और
एक जगह बसे हुए खेतिहरों के बीच किस तरह का विनिमय होता था? उत्तर- खानाबदोश पशुचारकों और
खेतिहरों के बीच वस्तु विनिमय होता था, जिसके तहत एक वस्तु को
देकर दूसरे वस्तु को प्राप्त करना होता
था। खानाबदोश चरवाहे अपने जानवरों के साथ दूर-दूर तक घूमते थे। उनका जीवन दूध और
अन्य पशुचारी उत्पादों पर निर्भर था। खानाबदोशी चरवाहे गृहस्थों से अनाज, कपडे, बर्तन और ऐसी
ही चीजों के बदले ऊन, घी, दूध दिया करते थे। कुछ खानाबदोश रास्ते में पड़ने वाले गाँवों और नगरों में
सामानों की खरीद-फरोख्त भी करते थे। आइए समझें
5. अहोम राज्य का प्रशासन
कैसे संगठित था? उत्तर- अहोम प्रशासन को संगठन निम्न
प्रकार से संगठित था (i). सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक अहोम
प्रशासन केन्द्रीकृत हो चुका था। (ii). अहोम समाज कुलों में विभाजित था। बाद में
कुलों में एकता भंग हो गई। (iii). एक कुल (खेल) के नियंत्रण में प्रायः कई गाँव
होते थे। किसान को अपने ग्राम समुदाय के द्वारा जमीन दी जाती थी। समुदाय की सहमति के
बगैर राजा तक इसे वापस नहीं ले सकता था।
6. वर्ण आधारित समाज में
क्या परिवर्तन आए? उत्तर- वर्ण आधारित समाज में निम्न
परिवर्तन आए- (i). वर्गों के भीतर छोटी-छोटी जातियाँ उभरने लगीं।
उदाहरण के लिए, ब्राह्मणों के बीच नयी जातियाँ सामने आई। (ii). दूसरी ओर कई जनजातियों और सामाजिक समूहों को
जाति विभाजित समाज में शामिल कर लिया गया और उन्हें जातियों का दर्जा दे दिया
गया। (iii). ब्राह्मणों द्वारा शिल्पियों, सुनार, लोहार, बढ़ई और
राजमिस्त्री को जातियों के रूप में मान्यता दे दी गई। (iv). वर्ण की बजाय जाति, समाज के
संगठन का आधार बनी।
7. एक राज्य के रूप में
संगठित हो जाने के बाद जनजातीय समाज कैसे बदला? उत्तर- एक राज्य के रूप में संगठित
हो जाने के बाद जनजातीय समाज में कई तरह से बदलाव आए। (i) हूण, चंदेल, चालुक्य और
कुछ दूसरी वंश परंपराओं में से कुछ पहले जनजातियों में आते थे और बाद में कई कुल
राजपूत मान लिए गए। धीरे-धीरे उन्होंने पुराने शासकों की जगह ले ली, विशेषतः कृषि
वाले क्षेत्रों में। (ii) शासकों के रूप में राजपूत गोत्रों के उदय के
उदाहरण का जनजातीय लोगों ने अनुसरण किया। धीरे-धीरे ब्राह्मणों के समर्थन से कई
जनजातियाँ, जाति व्यवस्था का हिस्सा बन गई लेकिन केवल प्रमुख जनजातीय परिवार ही शासक
वर्ग में शामिल हो सकें। 8. क्या बंजारे लोग
अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण थे? उत्तर- हाँ, बंजारे लोग
अर्थव्यवस्था की दृष्टि से कई तरह से महत्त्वपूर्ण थे - (i). बंजारे लोग सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापारी
खानाबदोश थे। (ii). सल्तनत काल
में बंजारे नगर के बाजारों तक अनाज की ढुलाई किया करते थे। (iii). बंजारे विभिन्न इलाकों से अपने बैलों पर अनाज
ले जाकर शहरों में बेचते थे। (iv). सैन्य अभियानों के दौरान वे मुगल सेना के लिए
खाद्यान्नों की ढुलाई का काम करते थे। बंजारे किसी भी सेना के लिए एक लाख बैलों
से अनाज ढोते थे।
9. गोंड लोगों का इतिहास, अहोमों के
इतिहास से किन मायनों में भिन्न था? क्या कोई समानता भी थी? उत्तर- गोंड लोगों के इतिहास एवं
अहोमों के इतिहास में कई मायनों में अन्तर था, जैसे (i). गोंड, गोंडवाना प्रदेश की
प्रमुख जनजाति थी, जबकि अहोम ब्रह्मपुत्र घाटी में निवास करने वाली प्रमुख जनजाति थी। (ii). गोंड यहाँ के मूल निवासी थे, जबकि अहोम
म्यानमार से आकर बसे थे। (iii). गोंड आग्नेय अस्त्रों का प्रयोग नहीं जानते थे, जबकि अहोम
उच्च स्तरीय बाख्द और तोपों के निर्माण में सक्षम थे। (iv). गोंडवाना राज्य अहोम राज्य की तुलना में बड़ा
था। गोंड इतिहास एवं अहोम इतिहास
में समानताएँ - (a). गोंड और अहोम दोनों ही जनजातियाँ थीं। (b). दोनों ही जनजातियों ने अपने-अपने साम्राज्य
स्थापित किए। (c). दोनों ही राज्यों को मुगलों ने पराजित किया।
10. एक मानचित्र पर इस
अध्याय में उल्लिखित जनजातियों के इलाकों को चिह्नित करें। किन्हीं दो के संबंध
में यह चर्चा करें कि क्या उनके जीविकोपार्जन का तरीका अपने-अपने इलाकों की
भौगोलिक विशेषताओं और पर्यावरण के अनुरूप था? उत्तर छात्र स्वयं करें।
दो जनजातियों
का विश्लेषण:
11. जनजातीय समूहों के संबंध
में मौजूदा सरकारी नीतियों का पता लगाएँ और उनके बारे में एक बहस का आयोजन करें।
उत्तर- छात्र स्वयं करें। भारत सरकार और राज्य सरकारें जनजातीय समुदायों
के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कल्याण के लिए कई नीतियाँ और
कार्यक्रम चला रही हैं। आइए कुछ प्रमुख नीतियों और कार्यक्रमों पर नज़र डालते
हैं:
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान
(PM-JANMAN)
धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान
जाति आधारित गणना
बहस के बिंदु: (i)
सकारात्मक पक्ष: o
इन नीतियों और कार्यक्रमों से जनजातीय
समुदायों के जीवन स्तर में सुधार, बुनियादी सुविधाओं की
उपलब्धता और सामाजिक सशक्तिकरण की संभावना। (ii)
चुनौतियाँ: o
कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन में
बाधाएँ, जैसे संसाधनों की कमी, जागरूकता की
कमी, और स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक चुनौतियाँ। (iii)
सुझाव: o
स्थानीय समुदायों की भागीदारी बढ़ाना, सतत
निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित करना, और कार्यक्रमों
की पारदर्शिता सुनिश्चित करना। 12. उपमहाद्वीप में वर्तमान
खानाबदोश पशुचारी समूहों के बारे में और पता लगाएँ वे कौन-से जानवर रखते हैं? वे प्रायः
किन इलाकों में जाते रहते हैं? उत्तर- छात्र स्वयं करें। 🐪 प्रमुख खानाबदोश पशुचारी समूह और उनके जानवर
🌿 इन समूहों की विशेषताएँ:
📌 वर्तमान समस्याएँ:
6. Devotional Paths to the Divine (ईश्वर से अनुराग)
पाठगत प्रश्न CH-6
1. शंकर या
रामानुज के विचारों के बारे में पता लगाने का प्रयत्न करें। उत्तर- शंकर उनका का जन्ग आठवीं शताब्दी में केरल प्रदेश में हुआ था। उनके मुख्य
विचार थे (i). वे अद्वैतवाद
के समर्थक थे, जिसके अनुसार जीवात्मा और परमात्मा दोनों एक
ही हैं। (ii). उन्होंने यह
शिक्षा दी कि ब्रह्मा, जो एकमात्र या परम सत्य है, वह निर्गुण और निराकार है। (iii). उन्होंने
हमारे चारों ओर के संसार को मिथ्या या माया माना और संसार का परित्याग करने
अर्थात संन्यास लेने और ब्रह्मा की सही प्रकृति को समझने और मोक्ष प्राप्त करने
के लिए ज्ञान के मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया।
रामानुज - रामानुज ग्यारहवीं शताब्दी में तमिलनाडु में पैदा हुए थे।
वे विष्णु भक्त अलवार संतों से बहुत प्रभावित थे। इनके मुख्य विचार थे- (i). मोक्ष
प्राप्त करने का उपाय विष्णु के प्रति अनन्य भक्ति भाव रखना है। (ii). भगवान
विष्णु की कृपादृष्टि से भक्त उनके साथ एकाकार होने का परमानंद प्राप्त कर सकता
है। (iii). रामानुज ने
विशिष्टताद्वैत के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया, जिसके अनुसार
आत्मा, परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपनी अलग सत्ता
बनाए रखती है।
2. वसवन्ना, ईश्वर को कौन-सा मंदिर अर्पित कर रहा है? उत्तर- बसवन्ना ईश्वर को शरीररूपी
मंदिर अर्पित कर रहा है।
3. आपके विचार
से मीरा ने राणा का राजमहल क्यों छोड़ा? उत्तर- मीराबाई रविदास जो 'अस्पृश्य जाति' के माने जाते थे, की अनुयायी बन गईं। वे कृष्ण के प्रति समर्पित थीं। और उन्होंने अपने गहरे
भक्ति-भाव को कई भजनों में अभिव्यक्त किया है। कृष्ण के प्रति समर्पित होने के
कारण ही उन्होंने राजमहल को छोड़ दिया। प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक
से) CH-6
1. निम्नलिखित
में मेल बैठाएँ:
2. रिक्त स्थान
की पूर्ति करें: (क) शंकर ……………………………. के समर्थक थे। (ख) रामानुज ………………………….. के द्वारा प्रभावित हुए थे। (ग) ……………, ………………., और
…………….., वीरशैव मत के समर्थक थे। (घ) ……………………………… महाराष्ट्र में भक्ति परंपरा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था।
उत्तर- (क) अद्वैत (ख) अलवार (ग) वसवन्ना, अल्लामा-प्रभु, अक्कमहादेवी (घ) पंढरपुर।
3. नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन करें। उत्तर- नामपंथी, सिद्ध और योगी इस काल में अनेक ऐसे धार्मिक समूह उभरे, जिन्होंने साधारण तर्क-वितर्क का सहारा लेकर रूढ़िवादी धर्म के कर्मकांडों
और अन्य बनावटी पहलुओं तथा समाज-व्यवस्था की आलोचना की है। उनमें नामपंथी, सिद्धाचार और योगी जन उल्लेखनीय हैं। उन्होंने संसार का त्याग करने का
समर्थन किया। उनके विचार से निराकार परम सत्य का चिन्तन मनन और उसके साथ एक हो
जाने की अनुभूति ही मोक्ष का मार्ग है। इसके लिए उन्होंने योगासन, प्राणायाम और चिन्तन-मनन जैसी क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर
प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया। उनके द्वारा की गई रूढ़िवादी धर्म की
आलोचना ने भक्तिमार्गीय धर्म के लिए आधार तैयार किया, जो आगे चलकर उत्तरी भारत में लोकप्रिय शक्ति बना। 4. कबीर द्वारा
अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे? उन्होंने इन
विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया ? उत्तर- कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख
विचार (i). कबीर निराकार
परमेश्वर में विश्वास करते थे। (ii). भक्ति के
माध्यम से ही मोक्ष यानी मुक्ति प्राप्त हो सकती है। (iii). हिन्दू और
इस्लाम धर्म में व्याप्त कुरीतियों की आलोचना की। (iv). प्रत्येक
व्यक्ति को ईश्वर के प्रति प्रेम भाव रखना चाहिए। (v). हिंदू और
मुसलमान एक ही ईश्वर की संतान हैं। (vi). धर्मों का
अंतर अथवा भेदभाव मानव द्वारा बनाया गया है। आइए समझें।
5. सूफियों के
प्रमुख आचार-व्यवहार क्या थे? उत्तर- सूफी पंथ के आचार-विचार (i). सूफी पंथ
धर्म के बाहरी आडम्बरों को अस्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा
सभी मनुष्यों के प्रति दयाभाव रखने पर बल देते थे। (ii). सूफी संत
ईश्वर के साथ ठीक उसी प्रकार जुड़े रहना चाहते थे, जिस प्रकार
एक प्रेमी दुनिया की। परवाह किए बिना अपनी प्रियतम के साथ जुड़े रहना चाहता है। (iii). ईश्वर एक है, उसे प्रेम-साधना और भक्ति द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
6. आपके विचार
से बहुत-से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को अस्वीकार
क्यों किया? उत्तर- बहुत से गुरुओं ने उस समय
प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को निम्न कारणों से अस्वीकार कर दिया (i). प्राचीनकाल
से चले आ रहे ऐसे धार्मिक कर्मकांड जिसमें कई तरह की कुरीतियाँ व्याप्त हो गई
थीं। (ii). प्राचीन काल
से चली आ रही धार्मिक रीति-रिवाज एवं प्रथाओं में काफी जटिलताएँ आ गई थीं। (iii). उस समय
प्रचलित धार्मिक विश्वास तथा प्रथाएँ समानता पर आधारित नहीं थीं। कई वर्गों के
साथ काफी भेदभाव किया जाता था।
7. बाबा
गुरुनानक की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थीं? उत्तर- बाबा गुरुनानक की प्रमुख
शिक्षाएँ निम्न हैं (i). एक ईश्वर की
उपासना करनी चाहिए। (ii). जाति-पाति
और लिंग-भेद की भावना से दूर रहना चाहिए। (iii). ईश्वर की
उपासना करनी चाहिए, दूसरों का भला करना चाहिए तथा अच्छे
आचार-विचार अपनाने चाहिए। (iv). उनके उपदेशों
को नाम जपना, कीर्तन करना और चंड-छकना के रूप में याद किया
जाता है। 8. जाति के
प्रति वीरशैवों अथवा महाराष्ट्र के संतों का दृष्टिकोण कैसा था? चर्चा करें। उत्तर-
9. आपके विचार
से जनसाधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा? उत्तर- हमारे विचार से जनसाधारण ने
मीराबाई की याद को निम्न कारणों से सुरक्षित रखा (i). मीराबाई एक
राजपूत राजकुमारी थीं और उसका विवाह मेवाड़ के राजपरिवार में हुआ था, फिर भी उन्होंने रविदास जो अस्पृश्य जाति से संबंधित थे, को अपना गुरु बनाया। (ii). उन्होंने
भगवान कृष्ण की उपासना में अपने-आप को समर्पित कर दिया था। उन्होंने अपने गहरे
भक्ति-भाव को कई भजनों में अभिव्यक्त किया है। (iii). उनके गीतों
ने उच्च जातियों के रीतियों-नियमों को खुली चुनौती दी तथा ये गीत राजस्थान व
गुजरात के जनसाधारण में बहुत लोकप्रिय हुए।
10. पता लगाएँ कि
क्या आपके आस-पास भक्ति परंपरा के संतों से जुड़ी हुई कोई दरगाह, गुरुद्वारा या मंदिर है। इनमें से किसी एक को देखने जाइए और बताइए कि वहाँ
आपने क्या देखा और सुना। उत्तर- छात्र स्वयं करें। बक्सर जिले
में भक्ति परंपरा से जुड़े कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। यहाँ कुछ प्रमुख
स्थानों के बारे में जानकारी प्रस्तुत है: (i). बिहारी जी मंदिर: बक्सर शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर डुमरांव में स्थित बिहारी जी मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित
है। इस मंदिर का निर्माण 1825 में डुमरांव के महाराजा
जयप्रकाश सिंह के आदेश पर हुआ था। यहाँ प्रतिदिन पांच आरतियाँ आयोजित की जाती
हैं, और प्रसाद के रूप में राजभोग वितरित किया जाता है। (ii). राज राजेश्वरी त्रिपुर
सुंदरी मंदिर: यह मंदिर
बक्सर शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर राजपुर प्रखंड
के देवढ़िया गाँव में स्थित है। 400 वर्ष पुराना यह मंदिर
तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ मूर्तियों से बोलने
की आवाजें सुनाई देने की मान्यता है। (iii). ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर: बक्सर शहर के ब्रह्मपुर में स्थित यह मंदिर शिवलिंग की
स्थापना ब्रह्मा जी द्वारा की गई मान्यता से प्रसिद्ध है। मंदिर का मुख्य द्वार
पश्चिममुखी है, और यहाँ एक दिलचस्प कथा जुड़ी
है जिसमें मुस्लिम शासक मोहम्मद गजनी ने मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया था,
लेकिन चमत्कारिक रूप से मंदिर का द्वार पश्चिम की ओर मुड़ गया,
जिससे गजनी को पीछे हटना पड़ा। (iv). रामपुर का सरस्वती मंदिर: नगर परिषद क्षेत्र के रामपुर गाँव में स्थित यह मंदिर
विद्या की देवी सरस्वती को समर्पित है। 1963 में स्थापित इस मंदिर में प्रतिदिन कमल के फूल अर्पित किए जाते हैं,
और यहाँ तीन दिवसीय सरस्वती मेला आयोजित किया जाता है। (v). वनदेवी पूजा स्थल: बक्सर जिले में खरवार-बहरवार समाज द्वारा प्राचीन काल से
वनदेवी की पूजा की परंपरा चली आ रही है। श्रावण माह में आयोजित इस पूजा में
पुराने वृक्षों की पूजा के साथ नए पौधे भी लगाए जाते हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश मिलता है। इन स्थानों पर जाकर आप भक्ति परंपरा और स्थानीय संस्कृति का अनुभव कर सकते
हैं। 11. इस अध्याय
में अनेक संत कवियों की रचनाओं के उद्धरण दिए गए हैं। उनकी कृतियों के बारे में
और अधिक जानकारी प्राप्त करें और उनकी उन कविताओं को नोट करें, जो यहाँ नहीं दी गई हैं। पता लगाएँ कि क्या ये गाई जाती हैं। यदि हाँ, तो कैसे गाई जाती हैं और कवियों ने इनमें किन विषयों पर लिखा था। उत्तर- छात्र स्वयं करें। (i). संत
कबीर (15वीं शताब्दी)
(ii). संत
तुलसीदास (1532–1623)
(iii). मीराबाई
(1498–1547)
(iv). सूरदास
(1478–1583)
(v). रहीम
(1556–1627)
12. इस अध्याय
में अनेक संत-कवियों के नामों का उल्लेख किया गया है, परंतु कुछ की रचनाओं को इस अध्याय में शामिल नहीं किया गया है। उस भाषा के
बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें, जिसमें ऐसे
कवियों ने अपनी कृतियों की रचना की। क्या उनकी रचनाएँ गाई जाती थीं? उनकी रचनाओं का विषय क्या था? उत्तर- छात्र स्वयं करें। बहुत अच्छा प्रश्न है! भक्ति आंदोलन के दौरान
अनेक संत-कवियों ने अलग-अलग भाषाओं और बोलियों में रचनाएँ कीं, क्योंकि
वे सीधे आम लोगों से संवाद करना चाहते थे — न कि केवल संस्कृत जानने वाले
पंडितों से। इसलिए इन संतों ने स्थानीय भाषाओं को चुना, जैसे अवधी, ब्रज, भोजपुरी,
पंजाबी, राजस्थानी, मराठी,
तेलुगु, तमिल, उर्दू
आदि। अब आइए उन संतों की बात करते हैं जिनका नाम तो
अध्याय में है, पर रचनाएँ नहीं दी गईं — और उनकी भाषा, विषय और गायन परंपरा के बारे में जानते हैं:
रचनाओं का गायन और शैली
7. The Making of Regional Cultures (क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण)
पाठगत प्रश्न CH-7
1. पता लगाएँ कि
पिछले दस सालों में कितने नए राज्य बनाए गए हैं। क्या इनमें से प्रत्येक राज्य
एक अलग क्षेत्र है? उत्तर- पिछले दस सालों में बनने वाले
नए राज्य झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तरांचल हैं। ये राज्य भौगोलिक
दृष्टि से जिन राज्यों से अलग हुए हैं, उससे भिन्न
थे। इसलिए जब उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार
राज्य के भौगोलिक विवरण का अध्ययन किया जाता था तो इन नए राज्यों को अलग भौगोलिक
क्षेत्र के रूप में अध्ययन किया जाता था।
2. पता लगाएँ कि
आपके घर में आप जो भाषा बोलते हैं, उसका लेखन
में सर्वप्रथम कब प्रयोग हुआ होगा? उत्तर- हम अपने घर में हिन्दी भाषा
को बोलते हैं। इस भाषा का सर्वप्रथम लेखने के रूप में प्रयोग 12वीं सदी में हुआ था। इस भाषा में हिन्दी का पहला ग्रंथ पृथ्वीराज रासो था
जिसे चन्दबरदाई ने लिखा था।
3. भरतनाट्यम
(तमिलनाडु), कथाकली (केरल), ओडिसी (उड़ीसा), कुचिपुड़
(आन्ध्र प्रदेश), मणिपुरी (मणिपुर) में से
किसी एक नृत्य के रूप में अधिक जानकारी प्राप्त करें। उत्तर- कुचिपुड़ी (आन्ध्र प्रदेश)
आन्ध्र प्रदेश के कुचेलपुरम् नामक ग्राम में प्रारंभ हुई यह नृत्य शैली तमिलनाडु
के पागवत मेला नाटक शैली के समान ही एक प्रमुख नृत्य नाटिका है। यह शास्त्रीय
नृत्य भरतमुनि के नाट्यशास्त्र के सिद्धान्तों का पालन करता है तथा इसका उद्देश्य
वैदिक एवं उपनिषदों के धर्म व अध्यात्म का प्रचार करना था। इस शैली का विकास
तीर्थ नारायण तथा सिद्धेन्द्र योगी ने किया। यह मूलतः पुरुषों का नृत्य है, परन्तु हाल में स्त्रियों ने भी इसे अपनाया है।
4. आपके विचार
से द्वितीय श्रेणी की कृतियाँ लिखित रूप में क्यों नहीं रखी जाती थीं? उत्तर- दूसरी श्रेणी की कृतियाँ
मौखिक रूप से कही-सुनी जाती थी, इसलिए उनका
काल निर्णय सही-सही नहीं। किया जा सकता है। दूसरी श्रेणी की कृतियों की
विश्वसनीयता काफ़ी कम थी, इसलिए ये कृतियाँ लिखित रूप में नहीं रखी जाती
थीं। प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक
से) CH-7 1. निम्नलिखित
में मेल बैठाएँ:
2. मणिप्रवालम
क्या है? इस भाषा में लिखी पुस्तक
का नाम बताएँ। उत्तर- 'मणिप्रवालम' एक भाषा-शैली है। मणिप्रवालम का शाब्दिक अर्थ
है-हीरा और मुँगा, जो यहाँ दो भाषाओं-संस्कृत और क्षेत्रीय भाषा
के साथ-साथ प्रयोग की ओर संकेत करता है।
3. कत्थक के
प्रमुख संरक्षक कौन थे? उत्तर- राजस्थान के राजदरबार और लखनऊ
के नवाब नृत्य-शैली के प्रमुख संरक्षक थे। अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह के
संरक्षण में यह एक प्रमुख कला के रूप में उभरा।
4. बंगाल के
मंदिरों की स्थापत्य कला के महत्त्वपूर्ण लक्षण क्या हैं? उत्तर- बंगाल के मंदिरों की
स्थापत्यकला के महत्त्वपूर्ण लक्षण (i). स्थानीय
देवी-देवता जो पहले गाँवों में छान-छप्पर वाली झोपड़ियों में पूजे जाते थे। (ii). मंदिरों की
शक्ल या आकृति बंगाल की छप्परदार झोपड़ियों की तरह दोचाला (दो छतों वाली) या
चौचाला (चार छतों वाली) होती थी। (iii). मंदिर आमतौर
पर एक वर्गाकार चबूतरे पर बनाए जाते थे। उनके भीतरी भाग में कोई सजावट नहीं होती
थी। (iv). मंदिरों की
बाहरी दीवारें चित्रकारियों, सजावटी टाइलों अथवा
मिट्टी की पट्टियों से सजी हुई थीं।
5. चारण-भाटों
ने शूरवीरों की उपलब्धियों की उद्घोषणा क्यों की? उत्तर- चारण-भाटों द्वारा शूरवीरों
की उपलब्धियों की उद्घोषणा के कारण - (i). चारण-भाटों
द्वारा गाए गए काव्य एवं गीत ऐसे शूरवीरों की स्मृति को सुरक्षित रखते थे। (ii). चारण-भाटों
से यह आशा की जाती थी कि वे अन्य जनों को भी उन शूरवीरों का अनुकरण करने के लिए
प्रेरित एवं प्रोत्साहित करेंगे।
6. हम जनसाधारण
की तुलना में शासकों के सांस्कृतिक रीति-रिवाजों के बारे में बहुत अधिक क्यों
जानते हैं? उत्तर- शासकों के सांस्कृतिक
रीति-रिवाजों की अधिक जानकारी के कारण (i). शासकों
द्वारा निर्मित कराए गए धार्मिक स्मारकों में हमें उनके सांस्कृतिक रीति-रिवाजों
की जानकारी मिलती है। (ii). सांस्कृतिक
परंपराएँ कई क्षेत्रों के शासकों के आदर्शों तथा अभिलाषाओं के साथ घनिष्ठता से
जुड़ी थीं। (iii). शासकों के
सांस्कृतिक गतिविधियों के बारे में यात्रा वृत्तांतों तथा कई रचनाकारों द्वारा
भी वर्णन किया गया है।
7. विजेताओं ने
पुरी स्थित जगन्नाथ के मंदिर पर नियंत्रण प्राप्त करने के प्रयत्न क्यों किए? उत्तर- ज्यों-ज्यों जगन्नाथ मंदिर को
तीर्थस्थल यानी तीर्थयात्रा के केन्द्र के रूप में महत्त्व प्राप्त होता गया, सामाजिक और राजनीतिक मामलों में भी उसकी सत्ता बढ़ती गई। जिन्होंने भी उडीसा
को जीता, जैसे-मुगल, मराठे और
अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कम्पनी, सबने इस मंदिर पर अपना
नियंत्रण स्थापित करने का प्रयत्न किया। वे सब महसूस करते थे कि मंदिर पर
नियंत्रण प्राप्त करने से स्थानीय जनता में उनका शासन स्वीकार्य हो जाएगा।
8. बंगाल में
मंदिर क्यों बनाए गए? उत्तर- बंगाल में पंद्रहवीं शताब्दी
के बाद वाले वर्षों में मंदिर बनाने का दौर जोरों पर रहा, जो उन्नीसवीं सदी तक चला। मंदिर निर्माण के कई कारण थे। (i). मंदिर और
अन्य धार्मिक भवन अकसर उन व्यक्तियों या समूहों द्वारा बनाए जाते थे, जो शक्तिशाली बन रहे थे। वे इनके माध्यम से
अपनी शक्ति तथा भक्तिभाव का प्रदर्शन करना चाहते थे। (ii). बंगाल में
जैसे-जैसे लोगों की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति सुधरती गई, उन्होंने इन मंदिर स्मारकों के निर्माण के माध्यम से अपनी प्रस्थिति या
प्रतिष्ठा की घोषणा कर दी। 9. भवनों, प्रदर्शन कलाओं, चित्रकला के
विशेष संदर्भ में अपने क्षेत्र की संस्कृति के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण
लक्षणों/विशेषताओं का वर्णन
करें। उत्तर- छात्र स्वयं करें। आप बक्सर
(बिहार) क्षेत्र से हैं, जो ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत समृद्ध है। इस क्षेत्र की संस्कृति
में भवन निर्माण, प्रदर्शन कलाओं और चित्रकला की अपनी विशेष पहचान है। आइए इन तीनों क्षेत्रों
में बक्सर की संस्कृति के कुछ प्रमुख लक्षणों और विशेषताओं का
वर्णन करते हैं: 🏛 (i). भवन निर्माण (स्थापत्य कला) बक्सर क्षेत्र
के भवन निर्माण में पारंपरिक, धार्मिक और ऐतिहासिक तत्व प्रमुख हैं:
🎭 (ii). प्रदर्शन कलाएँ (Performing
Arts) बक्सर की
सांस्कृतिक पहचान में लोकनाट्य, संगीत और
नृत्य की परंपरा भी महत्वपूर्ण है:
🎨 (iii). चित्रकला (Visual
Arts) बक्सर में
पारंपरिक चित्रकला और हस्तशिल्प की अपनी अलग पहचान रही है:
10. क्या आप (क)
बोलने, (ख) पढ़ने, (ग) लिखने के लिए भिन्न-भिन्न भाषाओं का प्रयोग करते हैं? इनमें से किसी एक भाषा की किसी प्रमुख रचना के बारे में पता लगाएँ और चर्चा
करें कि आप इसे रोचक क्यों पाते हैं? उत्तर- छात्र स्वयं करें। (क) बोलने
के लिए: हम घर पर अक्सर स्थानीय
भाषा या बोली बोलते हैं। जैसे बक्सर क्षेत्र में भोजपुरी आमतौर पर
बोली जाती है। (ख) पढ़ने
के लिए: स्कूल और किताबों में हम
हिंदी या अंग्रेज़ी का उपयोग करते हैं। समाचार पत्र, कहानियाँ, पाठ्यपुस्तकें — सब पढ़ने
के लिए ये भाषाएँ उपयोगी होती हैं। (ग) लिखने
के लिए: स्कूल, परीक्षा, या औपचारिक दस्तावेज़ों के
लिए अक्सर हिंदी या अंग्रेज़ी में लिखा जाता है।
11. उत्तरी, पश्चिमी, दक्षिणी पूर्वी और मध्य
भारत से एक-एक राज्य चुनें। इनमें से प्रत्येक के बारे में उन भोजनों की सूची
बनाएँ, जो आमतौर पर सभी के
द्वारा खाए जाते हैं। आप उनमें कोई अंतर या समानताएँ पाएँ, तो उन पर प्रकाश डालें। उत्तर- छात्र स्वयं करें।
12. इनमें से
प्रत्येक क्षेत्र से पाँच-पाँच राज्यों की एक-एक अन्य सूची बनाएँ और यह बताएँ कि
प्रत्येक राज्य में महिलाओं तथा पुरुषों द्वारा आमतौर पर कौन-से वस्त्र पहने
जाते हैं। अपने निष्कर्षों पर चर्चा करें। उत्तर- छात्र स्वयं करें।
🧭 1. उत्तरी भारत के पाँच राज्य:
🌵 2. पश्चिमी भारत के पाँच राज्य:
🌴 3. दक्षिण भारत के पाँच राज्य:
🐠 4. पूर्वी भारत के पाँच राज्य:
🌾 5. मध्य भारत के पाँच राज्य:
8. New political formations in
the eighteenth century (अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन)
पाठगत प्रश्न CH-8
1. औरंगजेब के
शासनकाल में किन-किन लोगों ने मुगल सत्ता को सबसे लम्बे समय तक चुनौती दी? उत्तर- औरंगजेब को उत्तर भारत में
सिक्खों, जाटों और संतनामियों, उत्तर पूर्व में अहोमो और दक्कन में मराठों के विद्रोहों का सामना करना
पड़ा। मराठों ने औरंगजेब को काफी लम्बे समय तक चुनौती दी थी।
2. अपने राज्य
को सुदृढ़ करने की कोशिशों में मुगल सूबेदार दीवान के कार्यालय पर भी क्यों
नियंत्रण जमाना चाहते थे? उत्तर- दीवान ही राज्य के विभिन्न
क्षेत्रों से कर वसूल करता था। राज्य के आय का मुख्य स्रोत राजस्व व्यवस्था ही
था, इसलिए मुगल सूबेदार अपने राज्य को सुदृढ़ करने
के लिए दीवान के कार्यालय पर भी नियंत्रण जमाना चाहते थे।
3. खालसा से
क्या अभिप्राय है? उत्तर- खालसा का शाब्दिक अर्थ है
शुद्ध। खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविंद सिंह थे। विक्रम संवत् 1756 ई. में बैसाख के प्रथम दिन आनंदपुर में एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया तथा
खालसा पंथ का गठन किया। प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक
से) CH-8
1. निम्नलिखित
में मेल बैठाएँ:
2. रिक्त
स्थानों की पूर्ति करें: (क) औरंगजेब ने ……………………
में एक लंबी लड़ाई लड़ी। (ख) उमरा और जागीरदार
मुगल ………………….. के शक्तिशाली अंग थे। (ग) आसफ जाह ने हैदराबाद
राज्य की स्थापना …………………… में की। घ) अवध राज्य का संस्थापक ……………………………. था। उत्तर- (क) दक्कन (ख) साम्राज्य (ग) 18वीं शताब्दी (घ) सआदत खाँ
3. बताएँ सही या
गलत: (क) नादिरशाह ने बंगाल पर
आक्रमण किया। (ख) सवाई राजा जयसिंह
इन्दौर का शासक था। (ग) गुरु गोविंद सिंह
सिक्खों के दसवें गुरु थे। (घ) पुणे अठारहवीं
शताब्दी में मराठों की राजधानी बना। उत्तर- (क) गलत (ख) गलत (ग) सही (घ) सही 4. सआदत खान के
पास कौन-कौन से पद थे? उत्तर- सआदत खान के पास निम्नलिखित
पद थे (i). सूबेदारी (ii). फ़ौजदारी (iii) दीवानी
5. अवध और बंगाल
के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश क्यों की? उत्तर- अवध और बंगाल के नवाबों ने
जागीरदारी प्रथा को निम्न कारणों से हटाने की कोशिश की (i). दोनों नवाब
मुगल शासन के प्रभाव को कम करना चाहते थे। (ii). राजस्व के
पुर्ननिर्धारण के लिए। (iii). अपने
विश्वस्त लोगों की नियुक्ति के लिए। (iv). जमींदारों
द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए। 6. अठारहवीं
शताब्दी में सिक्खों को किस प्रकार संगठित किया गया? उत्तर- अठारहवीं शताब्दी में कई
योग्य नेताओं के नेतृत्व में सिक्खों ने अपने आपको पहले 'जत्थों में और बाद में 'मिस्लों में संगठित किया। इन जत्थों और मिस्लों की संयुक्त सेनाएँ
'दल खालसा' कहलाती थीं।
उन दिनों दल खालसा, बैसाखी और दीवाली के पर्वो पर अमृतसर में
मिलता था। इन बैठकों में वे सामूहिक निर्णय लिए जाते थे, जिन्हें गुरमत्ता (गुरु के प्रस्ताव) कहा जाता था। सिक्खों ने राखी व्यवस्था
स्थापित की, जिसके अंतर्गत किसानों से उनकी उपज का 20 प्रतिशत कर के रूप में लेकर बदले में उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता था।
7. मराठा शासक
दक्कन के पार विस्तार क्यों करना चाहते थे? उत्तर- मराठा शासक निम्न कारणों से
दक्कन के पार अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहते थे (i). मराठा
सरदारों को शक्तिशाली सेनाएँ खड़ी करने के लिए संसाधन मिल सके। (ii). एक बड़े क्षेत्र पर शासन स्थापित
करने के लिए। (iii). उत्तरी
मैदानी भागों के उपजाऊ क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए। (iv). अधिक-से-अधिक
क्षेत्रों से चौथ तथा सरदेशमुखी वसूल करने के लिए।
8. आसफजाह ने
अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए क्या-क्या नीतियाँ अपनाई? उत्तर- असाफजाह द्वारा अपनी स्थिति
को मजबूत बनाने के लिए अपनाई गई नीतियाँ (i). असाफ़जाह
अपने लिए कुशल सैनिकों तथा प्रशासकों को उत्तरी भारत से लाया था। (ii). उसने मनसबदार
नियुक्त किए और इन्हें जागीरें प्रदान की। (iii). हैदराबाद
राज्य पश्चिम की और मराठों के विरुद्ध और पठारी क्षेत्र के स्वतंत्र तेलुगु
सेनानायकों के साथ युद्ध करने के लिए भी कूटनीति का सहारा लिया। 9. क्या आपके
विचार से आज महाजन और बैंकर उसी तरह का प्रभाव रखते हैं, जैसाकि वे अठारहवीं शताब्दी में रखा करते थे? उत्तर- हमारे विचार में आज महाजन और
बैंकर उस तरह का प्रभाव नहीं रखते, क्योंकि 18वीं सदी में महाजन और बैंकर निम्न तरीके से राज्य को प्रभावित करते थे (i). राज्य ऋण
प्राप्त करने के लिए स्थानीय सेठ, साहूकारों और
महाजनों पर निर्भर रहता था। (ii). साहूकार
महाजन लोग लगान वसूल करने वाले इजारेदारों को पैसा उधार देते थे, बदले में बंधक के रूप में जमीन रख लेते थे। (iii). साहूकार
महाजन जैसे कई नए सामाजिक समूह राज्य की राजस्व प्रणाली के प्रबंध को भी
प्रभावित करने लगे थे।
10. क्या अध्याय
में उल्लिखित कोई भी राज्य आपके अपने प्रांत में विकसित हुए थे? यदि हाँ, तो आपके विचार से अठारहवीं शताब्दी का जनजीवन आगे इक्कीसवीं शताब्दी के जनजीवन से किस रूप में
भिन्न था? उत्तर- छात्र स्वयं करें। हाँ, अध्याय में उल्लिखित कुछ राज्य — जैसे उत्तर प्रदेश,
बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान,
बंगाल आदि — अठारहवीं शताब्दी में भी
किसी न किसी रूप में मौजूद थे, हालांकि वे उस समय रियासतें,
नवाबियाँ, या छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्य हुआ
करते थे। उदाहरण:
🧾 अठारहवीं शताब्दी बनाम
इक्कीसवीं शताब्दी का जनजीवन:
11. अवध, बंगाल या हैदराबाद में से किसी एक की वास्तुकला और नए क्षेत्रीय दरबारों के
साथ जुड़ी संस्कृति के बारे में कुछ और पता लगाएँ। उत्तर- छात्र स्वयं करें। अवध की वास्तुकला और दरबारी संस्कृति (18वीं शताब्दी) (i). ऐतिहासिक
पृष्ठभूमि: अवध की
राजधानी लखनऊ थी, और यह क्षेत्र 18वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के कमजोर पड़ने के बाद एक स्वायत्त
नवाबी राज्य के रूप में उभरा। इसके नवाबों (विशेष रूप से नवाब
आसफ-उद-दौला) ने लखनऊ को कला, संस्कृति
और वास्तुकला का केंद्र बना दिया। (ii). वास्तुकला
की विशेषताएँ: अवध की
वास्तुकला में मुगल शैली, फारसी
प्रभाव, और स्थानीय शिल्प का सुंदर समन्वय
देखने को मिलता है। ✔️ प्रमुख भवन और स्थापत्य:
➡️ इन इमारतों में आलीशान
दरबार, मीनारें, अर्धगोल
मेहराब, और आंतरिक बाग-बग़ीचे आम थे। (iii). दरबारी
संस्कृति: अवध का दरबार
केवल सत्ता का केंद्र नहीं था, बल्कि साहित्य,
संगीत, नृत्य और फैशन का भी प्रमुख स्थान था। 📌 मुख्य पहलू:
12. राजपूतों, जाटों, सिक्खों अथवा मराठों में
से किसी एक समूह के शासकों के बारे में कुछ और कहानियों का पता लगाएँ। उत्तर- छात्र स्वयं करें। मराठा शासकों की वीरता की कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ: (i). छत्रपति
शिवाजी महाराज (1630–1680) संस्थापक –
मराठा साम्राज्य प्रसिद्ध
कहानी: सिंहगढ़ की लड़ाई (1670)
शिवाजी की और
बहादुरी की घटनाएँ:
(ii). राजाराम
और ताराबाई
(iii). पेशवा
बाजीराव प्रथम (1720–1740) “धार्मिक
एकता और सैन्य कौशल” के प्रतीक प्रसिद्ध
कहानी: नर्मदा पार युद्ध (1737)
📌 बाजीराव और मस्तानी की कहानी भी लोकप्रिय है — एक योद्धा और एक प्रेमी के रूप में उनका
संघर्ष मराठा समाज में बदलाव लाया। (iv). पानीपत
की तीसरी लड़ाई (1761)
(v). होलकर,
सिंधिया, भोंसले व गायकवाड़ जैसे मराठा
घराने
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